मन बनाकर बैठे हम अपनी दास्तान सुनाने को,
वो आई न इस दरमियान और बात मन में ही रह गयी.....
क्या लिखू इस जिंदगी में, खुशिया तो बस एक पल का नजराना
कभी भी कुछ भी हो जाता है, जाने कैसा है ये अफसाना ........
वो आई न इस दरमियान और बात मन में ही रह गयी.....
क्या लिखू इस जिंदगी में, खुशिया तो बस एक पल का नजराना
कभी भी कुछ भी हो जाता है, जाने कैसा है ये अफसाना ........
No comments:
Post a Comment