न दर्द दिल का किसी को सुना सके!
बस बैठे है यादों में उनकी!
न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके!
उनकी यादों को दिल से मिटा दिया!
एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था मुझे भूल जाओ!
और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया!
मैं कैसे इज़हार करू!
तुम तो खुशबु हो!
तुमको कैसे कैद करू!
एक बार जी के तो देखो हमारे लिये!
दिल की क्या औकात आपके सामने!
हम तो जान भी दे देंगे आपको पाने के लिये!
अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं!
मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर!
जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं!
इतनी मोहलत न मिली तो क्या होगा!
रोज़ कहते हो कल मिलेंगे, कल मिलेंगे!
कल मेरी आँखे न खुली तो क्या होगा!
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते!
मर गए पर खुली रखी आँखें!
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते!
उन्हें किसी और से प्यार है!
बस हार गए हम यह जानकर!
कि जिससे उन्हें प्यार है, वो हमारा यार है!
दोस्तों से प्यार कभी कम न होगा!
दूर रहकर भी जब रहेगी महक इसकी!
हमें कभी बिछड़ने का ग़म न होगा!
No comments:
Post a Comment