Sunday, November 28, 2010

सायरी

कभी किसी सपने को दिल से लगाया करो!
किसी के ख्वाबों में आया-जाया करो!
जब भी जी हो कि कोई तुम्हें भी मनाये!
बस हमें याद करके रूठ जाया करो!

दिल तोड़ना सजा है मुहब्बत की!
दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की!
मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत!
और जो बिन मांगे कुर्बान हो जाये वो है दोस्ती!

न कोई सुबह है और न कोई शाम है!
हर लम्हा आपका ही नाम है!
इससे मजाक मत समझ लेना!
यह हमारी तरफ से प्यार का पैगाम है!

जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है!
मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है!
जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से!
हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है!

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